कहाँ इतनी फुर्सत है अब चाँद के पास भी
बस थोड़ी देर को देखता है अब उस रोशन खिड़की को .
और फिर उस ऊँची ईमारत के पार
किसी और खिड़की से आँखे चार करने चला जाता है ..
: Ashish Nigam
बस थोड़ी देर को देखता है अब उस रोशन खिड़की को .
और फिर उस ऊँची ईमारत के पार
किसी और खिड़की से आँखे चार करने चला जाता है ..
: Ashish Nigam
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