Thursday, February 07, 2008

पापा i miss you !!

दर्द कुछ देर ही रहता है ,,
बहुत देर नही ..
जैसे शाख़ से टूटे हुए एक पत्ते का रंग ..
मांद (Dim) पड़ जाता है .... कुछ रोज़ अलग शाख़ से रहकर
शाख़ से टूट के ये दर्द जियेगा कब तक
ख़त्म हो जायेगी जब इसकी रसद ( fueL)
टिमटिमायेगा ज़रा देर को बुझते -बुझते
और फ़िर
लम्बी सी एक साँस ,, धुवें ( Smoke ) की लेकर
ख़त्म हो जाएगा
ये दर्द भी बुझ जाएगा
दर्द कुछ देर ही रहता है .... बहुत देर नही ..


ऐसे बिखरे हैं रात दिन जैसे ...
मोतियों वाला हार टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था

तुम्हारे ग़म की डली उठा कर
जुबान पे रख ली है देखो मैंने
ये कतरा कतरा पिघल रही है
मैं कतरा कतरा ही जी रहा हूँ

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