Friday, February 08, 2008

बिखरे हुए ख्याल

उड़ के जाते हुए पंछी ने , बस इतना देखा था ...........
देर तक हाथ हिलती रही एक शाख़ हवा मे ..

अलविदा कहती थी या पास बुलाती थी ????---------------------------

भुला सका ना मै
वो सिलसिला ..... जो था ही नही
वो एक ख्याल ..... जो आवाज़ तक गया ही नही
वो एक बात ..... जो मै कह नही सका तुमसे
वो एक रब्त ..... जो हममें कभी रहा ही नही

मुझे है याद वो सब ..... जो कभी हुआ ही नही

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