Wednesday, July 23, 2014

Indiabulls

मालिकों में विवाद हुआ  ,
तो कंपनी के टुकड़े हो गए
काम करने वाले इंसान भी  ,
सामान की तरह बँट गए
जैसे भाइयों में जायदाद का बंटवारा हो

ये पीतल का लोटा
जिसमे पानी भर के
मै सिरहाने रखा करता था  ,
रोज़ सोने से पहले
वापस ले लो ,
तुम्हारी शादी में
तुम्हारे ससुराल से आया था

ये थर्मस जिसे ,
कभी  मै , कभी तुम  ,
सफर में साथ ले जाते रहे उम्र भर
वो असल में मेरा है ,
मेरे बेटे ने दौड़ जीती थी ,
तब मिला था , इनाम में

ये पिताजी का छाता
जो हमने पैसे मिला के खरीदा था
उनके रिटायरमेंट वाले दिन
पांच रूपये  , जो मैंने मिलाये थे
वो  दे दो , छाता तुम्ही रख लो ,
मै क्या करूंगा इसका ..

ये जो दादाजी की तस्वीर है
इसके लिए क्या लड़ना
तुम्हारे कमरे में लगी थी
तुम्ही रख लो
मै ड्राइंग रूम वाली पेंटिंग
से काम चला लूँगा

जिन लोगों ने अपनी जवानी खर्च कर दी
इस कम्पनी को खड़ा करने में ,
एक  साथ काम करते-करते
इसी को घर-परिवार समझने लगे
आज पूछ रहे हैं  , एक दूसरे से 
यार तुम किस के हिस्से में आये हो  .  . 



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