Wednesday, April 23, 2008

GubbaRA ( गुब्बारा )

एक सन्नाटा भरा हुआ था इस गुब्बारे से कमरे में ,
बासी था माहौल सारा तेरे फ़ोन की घंटी बजने से पहले .
थोडी देर तो धड़का था , साँस हिली थी, नब्ज़ चली थी
मायूसी की झिल्ली आंखों से उतरी थी , कुछ लम्हों को . . .
फिर तेरी आवाज़ को आखिरी बार
' खुदा हाफिज़ 'कह कर जाते देखा था
एक सन्नाटा भरा हुआ है जिस्म के इस गुब्बारे मे ,
तेरे आखिरी फ़ोन के बाद

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