सब कुछ वैसे ही चलता है
जैसे चलता था ,
जब तुम थीं
रात भी वैसे ही सर मूंदे आती है
दिन भी वैसे ही आँखें मलता जाता है
तारे सारी रात जम्हाइयां लेते हैं
सब कुछ वैसे ही चलता है , जैसे चलता था , जब तुम थीं ...
काश तुम्हारे जाने पर कुछ फर्क तो पड़ता जीने में.
प्यास न लगती पानी की
या नाखून बढ़ना बंद हो जाते
बाल हवा में न उड़ते
या धुवाँ निकलता साँसों से
सब कुछ वैसे ही चलता है …
बस इतना फर्क पड़ा है मेरी रातों में
नींद नहीं आती ,
तो अब सोने के लिए , एक नींद की गोली ,
रोज़ निगलनी पड़ती है ..
जैसे चलता था ,
जब तुम थीं
रात भी वैसे ही सर मूंदे आती है
दिन भी वैसे ही आँखें मलता जाता है
तारे सारी रात जम्हाइयां लेते हैं
सब कुछ वैसे ही चलता है , जैसे चलता था , जब तुम थीं ...
काश तुम्हारे जाने पर कुछ फर्क तो पड़ता जीने में.
प्यास न लगती पानी की
या नाखून बढ़ना बंद हो जाते
बाल हवा में न उड़ते
या धुवाँ निकलता साँसों से
सब कुछ वैसे ही चलता है …
बस इतना फर्क पड़ा है मेरी रातों में
नींद नहीं आती ,
तो अब सोने के लिए , एक नींद की गोली ,
रोज़ निगलनी पड़ती है ..
: गुलज़ार
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