तुम्हारे शहर में ए दोस्त
क्यूं कर च्युंटियों के घर नहीं हैं
कहीं भी च्युंटियां नहीं देखी मैने
क्यूं कर च्युंटियों के घर नहीं हैं
कहीं भी च्युंटियां नहीं देखी मैने
अगरचे फ़र्श पे चीनी भी डाली
पर कोई चीटीं नहीं आयी
हमारे गांव के घर में तो आटा डालते हैं,
गर कोइ क़तार उनकी नज़र आये
पर कोई चीटीं नहीं आयी
हमारे गांव के घर में तो आटा डालते हैं,
गर कोइ क़तार उनकी नज़र आये
तुम्हारे शहर में गरचे..
बहुत सब्ज़ा है, कितने खूबसूरत पेड़ हैं
पौधे हैं, फूलों से भरे हैं
कोई भंवरा मगर देखा नहीं , भंवराये उन पर
तुम्हारे यहाँ तो दीवारों में सीलन भी नहीं है
दरारें ही नहीं पड़ती
हमारे यहाँ तो दस दिन के लिए परनाला गिरता है
तो उस दीवार से पीपल की डाली फूट पड़ती है
गरीबी की मुझे आदत पड़ी है ,
या मै तुम पर रश्क़ करता हूँ
तुम्हारे शहर की नकलें हमारे यहाँ महानगरों में होने लगी हैं
मगर कमबख़्त आबादी बड़ी बरसाती होती है
यहाँ न्यूयॉर्क में कीड़े-मकोड़ो की कभी नस्लें नहीं बढ़तीं
सड़क पे गर्द भी उड़ती नहीं देखी
मेरा गांव बहुत पिछड़ा हुआ है
बहुत सब्ज़ा है, कितने खूबसूरत पेड़ हैं
पौधे हैं, फूलों से भरे हैं
कोई भंवरा मगर देखा नहीं , भंवराये उन पर
तुम्हारे यहाँ तो दीवारों में सीलन भी नहीं है
दरारें ही नहीं पड़ती
हमारे यहाँ तो दस दिन के लिए परनाला गिरता है
तो उस दीवार से पीपल की डाली फूट पड़ती है
गरीबी की मुझे आदत पड़ी है ,
या मै तुम पर रश्क़ करता हूँ
तुम्हारे शहर की नकलें हमारे यहाँ महानगरों में होने लगी हैं
मगर कमबख़्त आबादी बड़ी बरसाती होती है
यहाँ न्यूयॉर्क में कीड़े-मकोड़ो की कभी नस्लें नहीं बढ़तीं
सड़क पे गर्द भी उड़ती नहीं देखी
मेरा गांव बहुत पिछड़ा हुआ है
मेरे आंगन के बरगद पर
सुबह कितनी तरह के पंछी आते हैं
वे नालायक, वहीं खाते हैं दाना
और वहीं पर बीट करते हैं
सुबह कितनी तरह के पंछी आते हैं
वे नालायक, वहीं खाते हैं दाना
और वहीं पर बीट करते हैं
तुम्हारे शहर में लेकिन
हर इक बिल्डिंग, इमारत खूबसूरत है, बुलन्द है
बहुत ही खूबसूरत लोग मिलते हैं
हर इक बिल्डिंग, इमारत खूबसूरत है, बुलन्द है
बहुत ही खूबसूरत लोग मिलते हैं
No comments:
Post a Comment