Friday, February 06, 2015

जिल्द

जब कट फट जाये या उधड़ जाये कोई रिश्ता
एक नए रिश्ते की जिल्द चढ़ा लेता हूँ
फटी हुए जिल्द की उधड़न से
रिस -रिस के जो बाहर आ जाता है वजूद मेरा
बस उतना ही छू पाती  है ये नयी जिल्द मुझको

: Ashish Nigam


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