Saturday, April 25, 2015

PTCruiser‬

स्कूल से लौटते हुए रस्ते में देखा प्यारे प्यारे पिल्ले खेल रहे हैं , बस फिर क्या था पहले थोड़ी देर खेले उनके साथ फिर उनमे से एक को घर ले आये , अब अम्मा देख लेती तो कुटाई हो जाती , इसलिए घर के बाहर की तरफ केले के पेड़ो झुरमुट में बोरा बिछा के उसका छोटा सा घर बना दिया , चारो भाई बहन सुबह शाम मिलने वाले दूध में से बचा के उस पिल्ले को पालने लगे , मोहल्ले के दुसरे बच्चे भी अपने बिस्कुट , डबलरोटी उसके लिए लाने लगे ,
'छोटी' ने नाम भी रख दिया था कुछ , अब तो याद भी नहीं ।

बमुश्किल एक हफ्ता गुज़रा था कि पड़ोस के मिंटू की मम्मी ने उसको डब्बे से बिस्कुट चुराते पकड़ लिया , उसकी कुटाई हुई तो सारी कहानी उसकी अम्मा से होते हुए हमारी अम्मा तक आ गयी . अम्मा का मूड ठीक था शायद, इसलिए उसदिन हम कुटने से बच गए लेकिन फरमान जारी हुआ कि , जाओ जहाँ से उठा के लाए हो वहीं छोड़ के आओ , मरते क्या न करते गए , खुशकिस्मती से उस पिल्ले का परिवार अब भी स्कूल के पीछे वाले खँडहर में था , वहीं छोड़ आये उसको , लेकिन वापस आते समय दिल बड़ा दुखी हुआ . . लेकिन फिर धीरे धीरे भूल गए

कल अपनी कार बेच दी , जब पुरानी कार को , उसके नए मालिक के घर छोड़ के वापस आ रहे थे तो बड़ी याद आई उस मासूम से पिल्ले की , जिसका अब नाम भी याद नहीं


‪#‎anigam‬ ‪#‎PTCruiser‬
: Ashish Nigam

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