Thursday, July 09, 2015

जनाज़ा

मैं नीचे चलके रहता हूं
जमीं के पास ही रहने दो मुझे
घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी
बहुत ही तंग हैं ये सीढ़ियां और ग्‍यारहवीं मंजिल
दबाव पानी का भी पांचवीं मंजिल तक मुश्किल से जाता है
मुझे तुम लिफ्ट से लटकाके नीचे लाओगे
यह सोच के अच्‍छा नहीं लगता

मैं नीचे चलके रहता हूं
वगरना सीढ़ियों से दोहरा करके उतारोगे
वो क्रिश्चियन पादरी जो सातवीं मंजिल पर रहता है
हिकारत से मुझे देखेगा, ‘गो टू हेल’ कहेगा
मुझे वो जिंदगी में भी यही कहता रहा है
यहां कुछ लोग हैं ऐसे
मैं उनके सामने जाने से बच जाऊं तो अच्‍छा है

वो मिश्रा मास्‍टर जिसको दमा है
खांस कर पांव से दरवाजा ठेलेगा
झिर्री से झांकेगा
फिर भी कोई एक श्‍लोक पढ़ देगा
‘तुरुप और सात सर’
पीपल के नीचे बैठकर
जब खेला करता था
वो बड़ी बेमंटी करता था
मगर बेला बहुत ही खूबसूरत थी
वो मिश्रा अब अकेला है
बहुत समझाया बाजी खत्‍म हो जाए तो
पत्‍ते फिर से बंटते हैं

मुझे कंपाउंड में पीपल के नीचे मत लिटाना
परिंदे बीट करते हैं
कि जीते जी तो जो भी हो
मरे को पाक रखते हैं

‪#‎Gulzar ‪#गुलज़ार



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