मैं नीचे चलके रहता हूं
जमीं के पास ही रहने दो मुझे
घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी
बहुत ही तंग हैं ये सीढ़ियां और ग्यारहवीं मंजिल
दबाव पानी का भी पांचवीं मंजिल तक मुश्किल से जाता है
मुझे तुम लिफ्ट से लटकाके नीचे लाओगे
यह सोच के अच्छा नहीं लगता
मैं नीचे चलके रहता हूं
वगरना सीढ़ियों से दोहरा करके उतारोगे
वो क्रिश्चियन पादरी जो सातवीं मंजिल पर रहता है
हिकारत से मुझे देखेगा, ‘गो टू हेल’ कहेगा
मुझे वो जिंदगी में भी यही कहता रहा है
यहां कुछ लोग हैं ऐसे
मैं उनके सामने जाने से बच जाऊं तो अच्छा है
वो मिश्रा मास्टर जिसको दमा है
खांस कर पांव से दरवाजा ठेलेगा
झिर्री से झांकेगा
फिर भी कोई एक श्लोक पढ़ देगा
‘तुरुप और सात सर’
पीपल के नीचे बैठकर
जब खेला करता था
वो बड़ी बेमंटी करता था
मगर बेला बहुत ही खूबसूरत थी
वो मिश्रा अब अकेला है
बहुत समझाया बाजी खत्म हो जाए तो
पत्ते फिर से बंटते हैं
मुझे कंपाउंड में पीपल के नीचे मत लिटाना
परिंदे बीट करते हैं
कि जीते जी तो जो भी हो
मरे को पाक रखते हैं
#Gulzar #गुलज़ार
जमीं के पास ही रहने दो मुझे
घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी
बहुत ही तंग हैं ये सीढ़ियां और ग्यारहवीं मंजिल
दबाव पानी का भी पांचवीं मंजिल तक मुश्किल से जाता है
मुझे तुम लिफ्ट से लटकाके नीचे लाओगे
यह सोच के अच्छा नहीं लगता
मैं नीचे चलके रहता हूं
वगरना सीढ़ियों से दोहरा करके उतारोगे
वो क्रिश्चियन पादरी जो सातवीं मंजिल पर रहता है
हिकारत से मुझे देखेगा, ‘गो टू हेल’ कहेगा
मुझे वो जिंदगी में भी यही कहता रहा है
यहां कुछ लोग हैं ऐसे
मैं उनके सामने जाने से बच जाऊं तो अच्छा है
वो मिश्रा मास्टर जिसको दमा है
खांस कर पांव से दरवाजा ठेलेगा
झिर्री से झांकेगा
फिर भी कोई एक श्लोक पढ़ देगा
‘तुरुप और सात सर’
पीपल के नीचे बैठकर
जब खेला करता था
वो बड़ी बेमंटी करता था
मगर बेला बहुत ही खूबसूरत थी
वो मिश्रा अब अकेला है
बहुत समझाया बाजी खत्म हो जाए तो
पत्ते फिर से बंटते हैं
मुझे कंपाउंड में पीपल के नीचे मत लिटाना
परिंदे बीट करते हैं
कि जीते जी तो जो भी हो
मरे को पाक रखते हैं
#Gulzar #गुलज़ार
No comments:
Post a Comment